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Zed Black launches Incense Sticks made from recycled Temple flowers in association with Help Us Green
December 28, 2020
तुलसी विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन मनाया जाता है। इसे देवउठनी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस बार तुलसी विवाह शनिवार 9 नवंबर 2019 को है| यह एक श्रेष्ठ मांगलिक और आध्यात्मिक पर्व है| हिन्दू मान्यता के अनुसार इस तिथि पर भगवान श्री हरि विष्णु के साथ तुलसी जी का विवाह होता है, क्योंकि इस दिन भगवान नारायण चार माह की निंद्रा के बाद जागते हैं| भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय हैं| तुलसी का एक नाम वृंदा भी है | नारायण जब जागते हैं, तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की सुनते हैं| इसीलिए तुलसी विवाह को देव जागरण का पवित्र मुहूर्त माना जाता है |
तुलसी विवाह व्रत कथा :
तुलसी विवाह को लेकर वैसे तो कई कथा और कहानियां है, जिनमें से एक प्रचलित कहानी यह भी है कि राक्षस कुल में एक कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम वृंदा था |यह कन्या बचपन से ही भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी| जैसे ही यह कन्या बड़ी हुई तो उसका विवाह समुद्र मंथन से जन्में जलंधर नाम के राक्षस के साथ करवा दिया गया| पत्नी के भक्ति के कारण राक्षस जलंधर और भी शक्तिशाली हो गया और दूसरे राक्षसों पर अत्याचार करने लगा |
वृंदा के पूजा पाठ की वजह से वो किसी भी युद्ध में विजय प्राप्त करके ही लौटता था |जिसकी वजह से सभी देवी देवता भी हैरान और परेशान थे| इन सब को देखते हुए सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में आए और मदद की गुहार लगाई | देवताओं की मदद करने के लिए भगवान विष्णु ने जलंधर का झूठा रूप धारण कर वृंदा के पति व्रत धर्म को नष्ट कर दिया जिसकी वजह से युद्ध कर रहे जलंधर की शक्ति कम हो गई और वो वहीं मारा गया| वहीं भगवान विष्णु के इस छल के लिए वृंदा ने उन्हें पत्थर बनने का शाप दे दिया
| वहीं पूरी सृष्टि में हाहा कार मचने के बाद जब मां लक्ष्मी ने वृंदा से प्रार्थना की तो वृंदा ने अपना श्राप वापस लेते हुए खुद को भस्म कर दिया |तभी भगवान विष्णु ने उस राख का पौधा लगाते हुए उसे तुलसी का नाम दिया और यह भी कहा कि मेरी पूजा के साथ आदि काल तक तुलसी भी पूजी जाएंगी|
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पूजा विधि :
1. तुलसी विवाह के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठें। इसके बाद स्नान कर के साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
2. तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे को लाल चुनरी ओढ़ाएं।
3. इसके बाद तुलसी के पौधे पर श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं एवं पत्थर रूपी शालिग्राम को तुलसी के पौधे के साथ स्थापित करें।
4. शालिग्राम को स्थापित करने के बाद तुलसी के पौधे का विधिवत पंडितजी से विवाह कराएं ।
5. तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और शालिग्राम की सात परिक्रमा कराएं और अंत में तुलसीजी की आरती गाएं।
तुलसी विवाह, बारिश के मौसम का अंत और हिंदू विवाह के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।