Zed Black launches Incense Sticks made from recycled Temple flowers in association with Help Us Green
December 28, 2020यह भारत के उत्तरी भाग में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय फसल त्यौहार है, मुख्यतः पंजाब और हरियाणा में । गेहूं के लिए फसल का समय, लोहड़ी के उत्सव के बाद शुरू होता है । यह सर्दियों के मौसम का अंत और किसानों के लिए एक नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है ।
एक त्योहार से अधिक; लोहड़ी आभार प्रकट करने का दिन है । इस दिन, लोग भगवान को उनको सुरक्षित रखने, और उनको विभिन्न प्राकृतिक सुख-समृद्धि देने के लिए आभार प्रकट करते है | पंजाब और हरियाणा के अलावा, अन्य राज्यों के लोग भी उत्सव में अब भाग लेने लगे हैं ।
लोहड़ी समारोह :
दिन की शुरुआत लोहड़ी के गीतों से होती है जो भगवान के लिए कृतज्ञता और पौराणिक नायक: ‘ दुल्लाभट्टी ’ के लिए होता है । दुल्लाभट्टी, एक मुस्लिम राजमार्ग डाकू, जिसने अमीरों को लूटा और गरीबों की मदद की, लोहड़ी के गीतों का केंद्रीय चरित्र है । इस दिन, बच्चे उपहार के रूप में पैसे और खाद्य पदार्थों को स्वीकार करने के लिए पड़ोस में घर-घर जाते हैं । दोपहर में, लोग दावत की तैयारी करते हैं, शाम में, नए कपड़े पहनते हैं और सब इकट्ठा होकर अलाव जलाकर लोहड़ी मानते हैं | वे तीन बार अलाव के चारों ओर घूमते हैं और भगवान को प्रसाद के रूप में मूंगफली, रेवड़ी, चावल, मक्खन, तिल और पॉपकॉर्न अर्पण करते हैं । वे भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनकी भूमि पर प्रचुर मात्रा में फसल उगे और उन्हें समृद्धि प्राप्त हो । प्रार्थना के बाद, लोग उपहार और शुभकामनाएं देने और प्रसाद वितरित करने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं । रात के समय, पुरुष और महिलाएं गीत गाते हैं, ढोल की थाप के साथ लोकनृत्य- भंगड़ा और गिद्दा करते हैं । बाद में, वे अलाव के चारों ओर बैठते हैं और सरसो-का-साग, मक्की-दी-रोटी और मिठाई “राउ-दी-खीर” की दावत देते हैं ।
लोहड़ी गीत:
सुन्दिरिये-मुन्दिरिये-हो तेरा कौन विचारा-हो
दुल्ला मही वाला-हो दुल्ले ने घी ब्याही-हों
सेर शक्कर पाई-हो कुड़ी दा लाल पटाका-हो
कुड़ी दा सालू फाटा-हो सालू कौन समेटे-हों
चाचा चूरी कुट्टी-हों जमीदारा लूटी-हो
जमींदार सुधाये-हो बड़े भोले आये-हों
इक भोला रह गया-हों सिपाही पकड़ के लै गया-हों
सिपाही ने मारी ईट, भाँवे रो, ते भाँवे पीट
सानू दे दे, लोहड़ी तेरी जीवे, जोड़ी |